जिफ के तीसरे दिन पत्रकारों के लिए हुई स्पॉटलाइट की स्पेशल स्क्रीनिंग

इंटरनेशनल को – प्रोडक्शन मीट में शामिल हुए 25 देशों के फिल्म निर्माता
_x000D_ _x000D_एल.जी.बी.टी. कम्यूनिटी के मुद्दों पर हो बातचीत – मयूर कटारिया
_x000D_ _x000D_मैं साहित्य का भगोड़ा हूं – राज शेखर
_x000D_ _x000D_होंगे कई डायलॉग सैशंस, राकेश ओम प्रकाश मेहरा, तिग्मांशु धुलिया सहित कई दिग्गज रहेंगे मौजूद
_x000D_ _x000D_जयपुर। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-जिफ 2020 के तीसरे दिन जहां सिलेसिलेवार फिल्मों का मेला सजा, वहीं फिल्मी पर्दे से जुड़े अहम् मुद्दों पर भी दिग्गजों ने अपनी बात रखी। इंटरनेशनल को – प्रोडक्शन मीट हुई, जहां फिल्म निर्माताओं ने आपसी संवाद किया।
_x000D_ _x000D_गौरतलब है कि जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-जिफ 2020 पर्यटन विभाग, राजस्थान सरकार के सहयोग से 21 जनवरी तक आयनॉक्स सिनेमा हॉल, जी.टी. सेन्ट्रल और होटल क्लाक्स आमेर में आयोजित हो रहा है।
_x000D_ _x000D_पत्रकारों के लिए हुई स्पॉटलाइट की स्पेशल स्क्रीनिंग
_x000D_ _x000D_कई पुरस्कार और ख़िताब अपने नाम कर चुकी फिल्म स्पॉटलाइट की स्पेशल नॉन कॉमर्शियल स्क्रीनिंग रखी गई। विशेष तौर पर मीडियाकर्मियों और पत्रकारों के लिए हरीदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की ओर से फिल्म का प्रदर्शन किया गया। स्पॉटलाइट एक अमेरिकन बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन टॉम मैकेर्थी ने किया है। 2015 में बनी यह फिल्म अमेरीका के सबसे पुराने अख़बार की खोजी पत्रकारिता के बारे में है। उल्लेखनीय है कि स्पॉट लाइट टीम को इन न्यूज़ स्टोरीज़ के लिए पब्लिक सर्विस के लिए पुलित्जर प्राइज 2003 दिया गया। फिल्म बेस्ट पिक्चर के लिए ऑस्कर अवॉर्ड हासिल कर चुकी है। पत्रकारों ने फिल्म को बहुत पसंद किया।
_x000D_ _x000D_एल.जी.बी.टी. कम्यूनिटी के मुद्दों पर हो बातचीत – मयूर कटारिया
_x000D_ _x000D_दोपहर 11:30 बजे ऑडियंस ऑफ 21 सेंचुरी – देयर सेंसेज एंड सेंसिबिलिटीज पर सैशन हुआ, जिसमें फिल्म निर्देशक हरीहरन, तनु वेड्स मनु रिटन्स, तुम्बाड, वीरे दी वैडिंग, हिचकी और उरी जैसी फिल्मों में लिरिक्स राइटर रहे राज शेखर, पत्रकार और लेखक तेजपाल सिंह धामा, ऑस्ट्रेलिया के फिल्म मेकर मयूर कटारिया ने अपने विचार रखे। फिल्म मेकर लोम हर्ष ने मॉडरेटर की भूमिका निभाई। सत्र में फ्रीडम ऑफ स्पीच और एल.जी.बी.टी. कम्यूनिटी जैसे संवेदनशील मसलों पर बातचीत की गई।
_x000D_ _x000D_बहुतेरी फिल्मों के लिए गीत लिख चुके राज शेखर ने चुटकी लेने के अंदाज में कहा कि उन्हें लिखने के लिए सबसे अधिक प्रोड्यूसर्स से मिलने वाले चैक प्रेरित करते हैं। वहीं, सत्र के दौरान तेजपाल सिंह धामा ने बताया कि उनका पहला उपन्यास अजय अग्नि उन्होने अपनी पत्नी के लिए लिखा था, ताकि वे उन्हें भारत की प्राचीन नारियों के गर्व भरे इतिहास से परिचित करा सकें। गौरतलब है कि पद्मावत फिल्म, जो देश भर में चर्चा का विषय रही थी, वह इनके उपन्यास अग्नि की लपटें पर आधारित है। धामा ने बताया कि उनकी किताबों पर मुकदमें भी चले हैं, और उन्होने पद्मावत फिल्म से जुड़ा किस्सा भी साझा किया, कि किस तरह वे फिल्मी लोगों की बातों में फंस गए। धामा ने कहा कि भारतीय सिनेमा कॉमर्शियल ज्यादा है, और जवाबदेह कम। ऐसे में पत्रकारिता और सिनेमा की दुनिया में ईमानदारी होना बहुत ज़रूरी है।
_x000D_ _x000D_ट्रांसजेडर फिल्में बनाने वाले मयूर कटारिया ने सैशन के दौरान उग्र स्वर में कहा कि भारत ही ऐसा देश है, जहां 50 लाख से अधिक किन्नर हैं, उन्हें देश में मान्यता भी मिली हुई है, लेकिन फिर भी वे बहुत पिछड़े हुए हैं। उन्हें आज भी बुनियादी शिक्षा और अन्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। एल.जी.बी.टी. समुदाय से जुड़े मुद्दों को सामने लाने की बहुत ज़रुरत है। गौरतलब है कि सत्र में ट्रांसजेडर एक्टर्स भी मौजूद थे, जिन्होने विषय पर अपनी सहमति ज़ाहिर की।
_x000D_ _x000D_मैं साहित्य का भगोड़ा हूं – राज शेखर
_x000D_ _x000D_दिन की ख़ास गतिविधि रही फिल्मी गीतों पर हुई रोचक बातचीत, जिसमें तनु वेड्स मनु, उरी, सांड की आंख, तुम्बाड़ जैसे बड़ी फिल्मों के लिए गीत रचने वाले राज शेखर ने दिल खोलकर अपनी बातें रखीं। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक ईश मधु तलवार ने शेखर से बड़े रोचक अंदाज में सवाल किए।
_x000D_ _x000D_बड़े ही चुटीले अंदाज में शेखर ने कहा कि मैं साहित्य का भगोड़ा हूं, और लिरिसिस्ट बनना मेरी जिंदगी में एक्सीडेंट की तरह हुआ है। शेखर ने बताया कि तनु वेड्स मनु फिल्म का बहुत कामयाब रहा गीत मैं घणी बावली होगी उन्होने महज़ तीन घंटे में लिख दिया था। बिहार के मधेपुरा गांव के रहने वाले शेखर ने किस्सागोई के अंदाज में बताया कि जब उनके सारे दोस्त दिल्ली छोड़कर मुंबई आए, तो उन्होने भी मुंबई का रुख कर लिया। असिस्टेंट डायरेक्शन से करियर शुरु करने वाले शेखर आगे जाकर कामयाब लिरिसिस्ट बन गए।
_x000D_ _x000D_गीत लिखने की प्रक्रिया के बारे में शेखर ने कहा कि अब फिल्मों में गीत आम बोलचाल की भाषा में बनने लगे हैं। वहीं शेखर ने यह भी कहा कि आज भी लेखकों को सॉन्ग राइटिंग के क्रेडिट्स में नाम नहीं मिल पाता, और उन्हें इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
_x000D_ _x000D_12:35 बजे राजस्थानी सिनेमा – एन इनविटेशन फॉर न्यू बिगनिंग 1942 – 2019 विषय पर डॉ. राकेश गोस्वामी ने अपने विचार रखे, जहां मॉडरेटर रहे वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज। यहां राजस्थानी सिनेमा को लेकर बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने राजस्थानी सिनेमा के विकास तथा उसके सामने आने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा की। राकेश गोस्वामी ने बताया कि राजस्थानी सिनेमा की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि राजस्थानी फिल्मकार एक अच्छी फिल्म बनाना ही नहीं चाहते है। राजस्थान में फिल्में कम बन रही है, और उनकी पब्लिसिटी भी नहीं के बराबर है। ऐसे में यह सबसे बड़ा कारण है कि क्षेत्रीय सिनेमा में राजस्थान सिनेमा का नाम नहीं के बराबर है।
_x000D_ _x000D_1 से 1:30 बजे तक वॉचिंग फिल्म्स – थियेटर टू मोबाइल, फिल्म प्रमोशन एंड मार्केटिंग कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई, जिसमें शॉर्ट्स टीवी यू.एस.ए. के सी.ई.ओ. कार्टर पिल्चर, फिल्म आलोचक अजय ब्रह्मात्मज, एनिमेशन फिल्म डिज़ाइनर धिगमन्त व्यास और फिल्म मेकर नमन गोयल ने हिस्सा लिया। इस संवाद में मोबाइल पर बनाई जाने वाली फिल्मों पर बात की गई। वक्ताओं ने बताया कि आज का दौर मोबाइल का दौर है, और ऐसे में आज दर्शकों को फिल्म देखने के लिए सिनेमा हाल्स में जाने कि जरूरत नहीं है। वे अपने फोन में उसे आसानी से देख सकते है। सिनेमा हाल में फिल्म देखना काफी महंगा भी होता है और ऐसे में ग्रामीण दर्शक तथा वंचित वर्ग बड़े - बड़े सिनेमा हॉल में जाकर उन फिल्म्स को नहीं देख सकते, ऐसे में मोबाइल एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। सिनेमा पर शुरू हुई यह चर्चा राजनीति पर भी पहुंची। अजय ब्रह्मात्मज ने बताया कि फिल्म मेकर्स को आर्थिक रूप से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में काफी फिल्में है, जो डिस्ट्रीब्यूशन या किसी अन्य कारण से रिलीज नहीं हो पाती, जिनका बजट करोड़ों का होता है। ऐसे में फिल्म मेकर्स को नुक़सान उठाना पड़ता है।
_x000D_ _x000D_इसी कड़ी में 3 बजे शॉर्ट फिल्म्स – वे टू थिएटर आयोजित हुआ, जिसमें शॉर्ट्स टीवी के प्रमुख कार्टर पिल्चर ने शॉर्ट्स टीवी की शॉर्ट फिल्मों के बारे में विस्तार से बताया।
_x000D_ _x000D_इंटरनेशनल को – प्रोडक्शन मीट
_x000D_ _x000D_होटल क्लाक्स आमेर में 4 बजे इंटरनेशनल को – प्रोडक्शन मीट का आयोजन हुआ, जिसे जिफ और जेएफएम के फाउंडर हनु रोज ने संचालित किया। 25 देशों के फिल्मकारों ने मीट में हिस्सा लिया, और फिल्मों के बारे में अहम् बातचीत की।
_x000D_ _x000D_हुआ फिल्मों का प्रदर्शन
_x000D_ _x000D_जिफ – 2020 के तीसरे दिन फिल्मों की स्क्रीनिंग का सिलसिला चलता रहा। देश – विदेश से आई फिल्मों के प्रदर्शन का दर्शकों ने ख़ासा आनन्द लिया। 19 जनवरी को दिखाई जाने वाली फिल्में रहीं – हैलमेट सेव्स लाइफ, वेटिंग टिल टुडे, फेस्टिवल एट दा क्रेन्स, क्रॉसिंग दा रिवर ऑफ लाइफ, मोसुल, हाउ आइ लिव, वसन्ती, हर रीबर्थ, इनविज़िबल सिटीजंस, मेजर निराला, अबोड, फाइव पॉइन्ट थ्री, तू प्यार का सागर है, एक आशा आदि।
_x000D_ _x000D_राजस्थान की रंगीली धरती से जुड़ी फिल्मों का भी प्रदर्शन हुआ। इनमें अलबेलो जयपुर, देसीबैंड्स, रात / ख़ास, करीब, डू नॉट ड्रिंक एंड ड्राइव आदि फिल्में उल्लेखनीय हैं, जो राज्य के अलग – अलग पहलुओं पर आधारित है।
_x000D_ _x000D_एनिमेशन शॉर्ट फिल्में – वैन प्लेनेट्स मेट, डॉटर, पैसेज, काइट, कलर मी फ्री, किटी आदि दिखाई गईं।
_x000D_ _x000D_क्या ख़ास होगा आज –
_x000D_ _x000D_वी शान्ताराम के प्रशंसकों के लिए अपने ज़माने की मशहूर फिल्म रही पड़ौसी का प्रदर्शन किया जाएगा। वी. शांताराम के फैन्स के लिए यह फिल्म 20 जनवरी को शाम 6 बजे आइनॉक्स [जी. टी. सेन्ट्रल] के स्क्रीन 1, ऑडी 1 में दिखाई जाएगी।
_x000D_ _x000D_आज के दौर में जिस तरह साम्प्रदायिक भेदभाव और आपसी बैर का माहौल बन रहा है, पड़ौसी को देखना दर्शकों को कई सबक दे जाता है।
_x000D_ _x000D_वी शांताराम की बहुचर्चित फिल्म पड़ौसी [1941] सामाजिक मुद्दों को छूती हुई फिल्म है। इस सोशल ड्रामा फिल्म को ख़ास और आज के वक्त में प्रासंगिक बनाता है इसका विषय, जो हिन्दू – मुस्लिम एकता की बात करता है।
_x000D_ _x000D_ऑस्कर विजेता रही फिल्म डॉटर, डूबी को देखना फिल्म प्रेमियों के लिए विशेष अनुभव होगा।
_x000D_ _x000D_आज होंगे कई डायलॉग सैशंस, राकेश ओम प्रकाश मेहरा, तिग्मांशु धुलिया सहित कई दिग्गज रहेंगे मौजूद
_x000D_ _x000D_तीसरे दिन, 20 जनवरी को दोपहर 12 से 1:30 बजे रीज़नल सिनेमा ऑफ इंडिया – टुडे एंड टुमॉरो, डाइवर्सिटी ऑफ इंडिया – रिफ्लेक्शन इन इंडियन सिनेमा सैशन होगा। यहां गैंग्स ऑफ वासेपुर और पान सिंह तोमर के डायरेक्टर और राइटर तिग्मांशु धूलिया, बाला के लेखक निरेन भट्ट, लाल कप्तान के लेखक दीपक वेंकटेशन, इंद्रनील घोष और फिल्म निर्देशक राधेश्याम पिपलवा हिस्सा लेंगे। वहीं, फिल्म मेकर गजेन्द्र क्षोत्रिय मॉडरेटर रहेंगे।
_x000D_ _x000D_दोपहर के भोजन के बाद, 2 से 3 बजे वर्ड सिनेमा बाय विमन सैशन होगा, जिसमें जाने – माने फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया, अभिजीत देशपाण्डे, गुड न्यूज फिल्म की राइटर ज्योति कपूर, डायरेक्टर, सिनेमेटोग्राफर और मुम्बई टॉकीज की फाउंडर सीमा देसाई, तेजपाल सिंह धामा और ग्रीस की अभिनेत्री मारिया एलेक्सा अपनी बात रखेंगे।
_x000D_ _x000D_इसी कड़ी में आगे एक महत्वपूर्ण सत्र भी होगा – सिनेमा ऑफ चेंज, जिसमें जाने – माने फिल्म निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा दर्शकों से संवाद करेंगे।
_x000D_ _x000D_4 से 6 बजे जिफ और जयपुर पीस फ़ाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में सिनेमा और समाज: समकालीन सन्दर्भ सेमिनार होगी, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में हरीदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी मौजूद रहेंगे। सेमिनार की अध्यक्षता प्रो नरेश दाधीच करेंगे, वहीं बतौर वक्ता प्रो. सुदेश बत्रा, हरिराम मीणा, राजेन्द्र बोड़ा, डॉ. दुर्गा प्रसाद, डॉ प्रणु शुक्ला और डॉ राकेश रायपुरिया मंचासीन होंगे।
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[SPECIAL INTERVIEWS]-
_x000D_ _x000D_सन राइज़ेस फ्रॉम दा ईस्ट पोल के निर्माताओं से हुई बातचीत
_x000D_ _x000D_क्लोजिंग सेरेमनी में दिखाई जाने वाली फिल्म सनराइज फ्रॉम द ईस्ट पॉल के सह निर्माताओं हेलेन और ग्रेस से बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि चीनी सिनेमा बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है। खासकर युवा लोगों ने इस फिल्म को बनाने में काफी परेशानियों का सामना भी किया। यह फिल्म एक आम लड़की पर आधारित है, जिसकी शादी एक सेलेब्रिटी से होने वाली है, लेकिन अपनी शादी से एक दिन पहले ही वह लड़की गायब हो जाती है। यह कहानी इसी लड़की के इर्द गिर्द घूमती है।
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शाओ ने जिफ फेस्टिवल के बारे में बताया कि उन्हें यह फिल्म समारोह काफी पसंद आया और वह भारत को बहुत पसंद करती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों से देश - विदेशो के मध्य संस्कृतियों का आदान प्रदान होता है।
कचरा बीनने वालों की कहानी है फिल्म डूबी – कीथ गोम्स
_x000D_ _x000D_फिल्म डूबी के निर्देशक कीथ गोम्स के साथ बातचीत की गई। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि यह फिल्म एक शॉर्ट फिक्शन फिल्म है जो कि एक कचरा बीनने वाले पांच साल के बच्चे के इर्द गिर्द घूमती है, जिसे एक छोटी लड़की का वैनिटी बॉक्स मिलता है, जिसमें उसकी फोटो भी है। यह फिल्म बाकी फिल्मों से अलग है, क्यूंकि इसमें असली कचरा बीनने वाले बच्चों को दिखाया गया है जो की अभिनय से परिचित नहीं है। दर्शकों को यह फिल्म काफी पसंद आएगी, क्यूंकि इस बच्चे कि मासूमियत दर्शकों का मन मोह लेगी।
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