"कार्तिकेय 2 श्री कृष्ण की महिमा पर आधारित है, जो दर्शकों को ज़िंदगी के सबसे बड़े रोमांच का अनुभव कराती है" : निखिल सिद्धार्थ

'कार्तिकेय 2' के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ आप भी कार्तिकेय की इस रहस्यमय यात्रा में शामिल हो जाइए 27 नवंबर को रात 8 बजे, सिर्फ ज़ी सिनेमा पर।

"कार्तिकेय 2 श्री कृष्ण की महिमा पर आधारित है, जो दर्शकों को ज़िंदगी के सबसे बड़े रोमांच का अनुभव कराती है" : निखिल सिद्धार्थ

यह फिल्म दर्शकों के बीच तुरंत हिट हो गई। आपके विचार से इस फिल्म की किस खासियत ने इसे उम्मीद से ज्यादा व्यवसायिक सफलता दिलाई?

हम में से कोई भी ऐसा नहीं है, जो श्री कृष्ण की महिमा से प्रभावित ना हो। कार्तिकेय 2 इसी सार पर आधारित है, जो दर्शकों को ज़िंदगी के सबसे बड़े रोमांच का अनुभव कराती है। मेरा किरदार एक जीवन बदल देने वाली खोज में शामिल होकर सबसे बड़ा रहस्य उजागर करता है। अब मैं ज़ी सिनेमा के दर्शकों को इस रोमांचक सफर पर ले जाने के लिए उत्साहित हूं। अपनी ज़िंदगी में हम सभी ने कभी ना कभी अपने मुश्किल वक्त में भगवान की ओर रुख किया है। इस फिल्म में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है, जिससे यह फिल्म और ज्यादा अपनी-सी लगती है। मैं वाकई यह मानता हूं कि इस कहानी में श्रीकृष्ण की शक्ति है।

मुझे लगता है कि यह फिल्म वर्ड ऑफ माउथ के जरिए इतनी ज्यादा सफल हुई। हमने सोचा था कि यह एक सीमित रिलीज़ होगी, लेकिन यह 50 दिनों बाद भी थिएटर में चलती रही। यह बहुत बड़ी बात है। हम उन सभी के आभारी हैं, जिन्होंने हमारी फिल्म देखी और हमारे प्रति अपना समर्थन जताया।

- आपके हिसाब से हमारे देश में माइथोलॉजी इतना पॉपुलर जॉनर क्यों है? इस विषय से जुड़ी जिम्मेदारी को देखते हुए आपने अपने रोल और इस फिल्म के लिए किस तरह की तैयारी की?

भारत में जन्मे किसी भी इंसान के लिए यह नामुमकिन है कि वो अपने देश की समृद्ध संस्कृति और वीर गाथाओं के बारे में ना जानता हो। मैं ऐसी ही महान गाथाओं को सुनते हुए बड़ा हुआ हूं। खासतौर से मैंने अपने पिता से ये कथाएं सुनी हैं। इन कथाओं के प्रति मेरी उत्सुकता ने ही मुझे यह प्रोजेक्ट करने के लिए प्रेरित किया। और यही उत्सुकता और अपनापन इस जॉनर को इतना पॉपुलर बनाते हैं, क्योंकि हम सभी अपने मां-बाप या दादा-दादी से इस तरह की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं और इन्हें सुनकर हमें बहुत गर्व होता है।

'कार्तिकेय 2' के लिए मैंने रिसर्च और ग्राउंड वर्क में काफी समय दिया। दुर्भाग्य से इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने अपने पिता को खो दिया, जिससे यह सफर मेरे लिए भावनात्मक रूप से काफी मुश्किल रहा, लेकिन उन्होंने रिसर्च प्रोसेस में काफी मदद की, यहां तक कि उन्होंने कुछ रॉ कट्स भी देखे और इसकी हर बात को काफी पसंद किया था। तो यह फिल्म एक तरह से उनके लिए श्रद्धांजलि थी।

- इस फिल्म में अनुपम खेर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

इस फिल्म की हर बात मेरे लिए ज़िंदगी बदल देने वाला अनुभव था। इस प्रक्रिया ने मुझे एक एक्टर के तौर पर चुनौती दी और मुझे ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचने का मौका दिया। सबसे खास बात, अनुपम खेर सर के साथ काम करने का मौका मिलना बड़ा प्रेरणादायक था। वो स्क्रिप्ट और कहानी में इतने ज्यादा तल्लीन हो जाते थे कि पूरी फिल्म में जान आ गई। शूटिंग के दौरान वो जिस तरह का माहौल लेकर आते थे, वो इतना संक्रामक था कि उन्हें देखते हुए हम सभी इस प्रक्रिया में डूब जाते थे।