आईआईटी मंडी में ‘प्रयास 3.0’ का सफल समापन, छात्रों ने सीखा विज्ञान, तकनीक और नवाचार का व्यावहारिक पाठ
आईआईटी मंडी में आयोजित एक महीने के प्रयास 3.0 कार्यक्रम में छात्रों ने वैज्ञानिक सोच, रोबोटिक्स, कोडिंग और तकनीकी स्किल्स का व्यावहारिक अनुभव लिया। यह कार्यक्रम STEM शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था।

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने अपने वार्षिक आउटरीच कार्यक्रम 'प्रयास 3.0' का सफलतापूर्वक समापन कर लिया है। यह एक ऐसा अभियान था, जिसका उद्देश्य देशभर के स्कूली छात्रों में वैज्ञानिक सोच, तार्किकता और नवाचार की भावना को जागृत करना था। इस एक महीने लंबे आवासीय कार्यक्रम में छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया गया।
आईआईटी मंडी परिसर में रहकर छात्रों ने विज्ञान और तकनीक की दुनिया को न सिर्फ पढ़ा, बल्कि उसे महसूस भी किया। उन्हें रोबोटिक्स, कोडिंग, सर्किट डिज़ाइन और मैकेनिकल प्रोटोटाइप जैसी तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ। विभिन्न कार्यशालाएं, रोचक व्याख्यान, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का दौरा और टीम प्रोजेक्ट्स के माध्यम से बच्चों ने STEM को मज़ेदार, व्यावहारिक और प्रेरक रूप में जाना।
कार्यक्रम की सबसे विशेष और लोकप्रिय गतिविधियों में से एक रही 'रोबो सॉकर प्रतियोगिता', जहाँ छात्रों ने खुद रोबोट डिज़ाइन किए और उन्हें प्रोग्राम कर फुटबॉल जैसे खेल में प्रयोग किया। पहली बार रोबोटिक्स का अनुभव कर रहे इन छात्रों के लिए यह एक नई दुनिया के दरवाज़े खोल देने वाला पल था। उनके लिए यह सिर्फ एक खेल नहीं था, बल्कि उनके भीतर छिपे वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल को जगाने का माध्यम था।
एक छात्र-मार्गदर्शक ने साझा किया कि जब बच्चों ने अपने बनाए हुए रोबोट को मैदान पर खेलते देखा, तो उनके चेहरे पर जो चमक और गर्व था, वह अविस्मरणीय अनुभव था। कई छात्रों के लिए यह पहली बार था जब उन्होंने किसी तकनीक को अपने हाथों से बनाकर और नियंत्रित कर उसे क्रियान्वित होते देखा।
समापन समारोह में आईआईटी मंडी के कंटिन्यूइंग एजुकेशन सेंटर (CCE) के प्रमुख डॉ. तुषार जैन ने छात्रों की मेहनत और जिज्ञासा की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में खोज की भावना और साहस को बढ़ावा देना है। प्रारंभिक स्तर पर STEM विषयों से जुड़ाव, भविष्य में वैज्ञानिक और नवोन्मेषक बनने की राह को आसान बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रायोगिक शिक्षा, रोबोटिक्स और डिज़ाइन थिंकिंग के ज़रिए हम छात्रों को यह अनुभव देना चाहते हैं कि ज्ञान सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि प्रयोगों और खोजों में भी होता है।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी छात्रों को 'प्रयास 3.0' का प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जिससे उनके सीखने के इस सफर को मान्यता और प्रोत्साहन मिला। आईआईटी मंडी की इस पहल की इस बात के लिए खूब सराहना हो रही है कि उसने आने वाली पीढ़ी को व्यावहारिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने का सशक्त प्रयास किया।